Naagvasuki temple of prayagraj
प्रयागराज, जो अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, में स्थित नागवासुकी मंदिर एक ऐसा स्थल है जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह मंदिर गंगा नदी के किनारे, दारागंज क्षेत्र में स्थित है और नाग देवता की पूजा के लिए विख्यात है। मंदिर की धार्मिक और पौराणिक महत्ता इसे प्रयागराज के प्रमुख स्थलों में से एक बनाती है।
नागवासुकी मंदिर का नाम स्वयं इसके देवता नागवासुकी से जुड़ा हुआ है। हिंदू धर्म में नागवासुकी को नागों का राजा माना जाता है, और वे भगवान शिव के प्रिय अनुयायी हैं। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि नागवासुकी ने यहां तपस्या की थी, और उनकी कृपा से यह स्थल अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है।
किंवदंती के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण महाभारत काल में हुआ था, जब भगवान श्रीकृष्ण ने यहाँ पर नागवासुकी को प्रसन्न करने के लिए पूजा की थी। तब से यह मंदिर नागों की पूजा के लिए प्रसिद्ध हो गया। हर वर्ष नाग पंचमी के दिन, इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा नागवासुकी मंदिर पर किए गए सर्वेक्षणों में यह पाया गया कि यह मंदिर अपनी प्राचीनता में अत्यंत महत्वपूर्ण है। सर्वेक्षण के दौरान यहां से कुछ प्राचीन मूर्तियाँ, शिलालेख, और अन्य पुरातात्विक अवशेष मिले हैं, जो इस क्षेत्र के इतिहास और संस्कृति की गहराई को दर्शाते हैं।
पुरातत्वविदों का मानना है कि यह मंदिर अपने समय का एक प्रमुख धार्मिक केंद्र था और यहां की शिल्पकला और वास्तुकला अद्वितीय है। कुछ विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि यह स्थल प्राचीन नाग वंश की पूजा का प्रमुख केंद्र था, और इस क्षेत्र में नागों की पूजा का प्रचलन इस मंदिर के कारण ही हुआ।
इस मंदिर के बारे में लोगों की गहरी आस्था है। कहा जाता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं, विशेष रूप से जो लोग नागों से जुड़े दोषों से परेशान होते हैं, वे यहाँ पर नागवासुकी की पूजा कर अपनी समस्याओं से निजात पाते हैं। नाग पंचमी के अवसर पर यहाँ भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से लोग आते हैं।
मंदिर के पुजारी और स्थानीय लोग यह भी मानते हैं कि नागवासुकी मंदिर में नाग देवता की उपस्थिति आज भी महसूस की जा सकती है, और यहां की विशेष पूजा अर्चना से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं।
प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. राधाकृष्ण त्रिपाठी ने नागवासुकी मंदिर पर अपने शोध में बताया है कि यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनके अनुसार:
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा नागवासुकी मंदिर को एक संरक्षित स्थल के रूप में मान्यता दी गई है। ASI ने इस मंदिर के संरक्षण और रखरखाव के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
नागवासुकी मंदिर प्रयागराज के दारागंज क्षेत्र में स्थित है, जो प्रयागराज जंक्शन रेलवे स्टेशन से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है। यह स्थल शहर के मुख्य केंद्र से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है, और यहाँ तक पहुंचने के लिए आप निम्नलिखित साधनों का उपयोग कर सकते हैं:
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